घर से बाहर निकल ने से डरते हैं,
खुली सांस भी नही लेते हैं,
हवा को दुश्मन मानते हैं,
और पड़ोसी को कीटाणु,
किसी को भीतर नहीं आने देते,
ना घर में ना दिल में,
घुटन से हर पल मरते हैं,
सांसों में और रिश्तों में,
टीके की उम्मीद रखते हैं,
कि उसके सहारे जी लेंगे,
लेकिन दुनिया में कीटाणु भरे पड़े हैं,
हर एक के लिए टीका नहीं है
खुली सांस भी नही लेते हैं,
हवा को दुश्मन मानते हैं,
और पड़ोसी को कीटाणु,
किसी को भीतर नहीं आने देते,
ना घर में ना दिल में,
घुटन से हर पल मरते हैं,
सांसों में और रिश्तों में,
टीके की उम्मीद रखते हैं,
कि उसके सहारे जी लेंगे,
लेकिन दुनिया में कीटाणु भरे पड़े हैं,
हर एक के लिए टीका नहीं है
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